हाल
के दिनों में दिल्ली में भूकंप (Earthquake In Delhi) की घटना चर्चा का
विषय बना हुआ है।विगत 8 नवंबर 2022 को दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों
में भूकंप के तीव्र झटके महसूस किए गए।इस भूकंप का केंद्र हमारे पड़ोसी देश
नेपाल में था,जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.3 मापी गई।नेपाल में इस
भूकंप ने काफी कहर बरपाया।कई मकान ध्वस्त हो गए तथा जानमाल की भी काफी
हानि हुई है।8 नवंबर के बाद दोबारा 12 नवंबर 2022 को भी भारत में भूकंप के
हल्के झटके महसूस किए गए।जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.4 आंकी गई।भारत
के उत्तरी तथा उत्तर पूर्वी भागों में आए इस भूकंप से किसी के हताहत होने
की खबर नहीं मिली है।भूकंप की तीव्रता के आधार पर भारत के विभिन्न
क्षेत्रों को चार
जोन्स-II,III,IV,V में बांटा गया है।जिसमें से दिल्ली,जम्मू-कश्मीर,
उत्तराखंड,गुजरात,बिहार
तथा उत्तर-पूर्व में स्थित राज्यों को जोन-V के अंतर्गत रखा गया हैं,जो
सबसे खतरनाक है और ज्यादातर भूकंप इसी क्षेत्र में ही आते हैं।गुजरात के
भुज में 26 जनवरी 2001 को भूकंप की घटना तो आप लोगों को याद ही होगा।जिसने
पूरे गुजरात को हिलाकर रख दिया था।इसमें लाखों लोगों ने अपनी जानें गंवाई
थी।गुजरात का यह क्षेत्र भी जोन-V में पड़ता है।इसी कारण यहां इतना भीषण
भूकंप आया।
राष्ट्रीय
आपदा प्रबंधन संस्थान द्वारा ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे भी
ज्यादा तीव्रता का भूकंप भारत में आ सकता है।इसलिए सरकार और देश के लोगों
को इस प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।क्योंकि भूकंप एक
ऐसी प्राकृतिक घटना है जिसे रोकना मानव के बस की बात नहीं है।केवल इससे
बचाव के लिए उपाय खोजे जा सकते हैं।
दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में भूकंप की घटनाएं ज्यादा घटित क्यों हो रही हैं,इसे समझने के लिए पहले हम भूकंप और भूकंप विज्ञान के बारे में जानना होगा।इस पोस्ट में आगे हम इन्हीं विषयों पर चर्चा करने वाले हैं।
• भूकंप क्या है:
पृथ्वी में आंतरिक हलचल के परिणामस्वरूप जब भूमि में कंपन उत्पन्न होता है तो इस परिघटना को "भूकंप" कहा जाता है।पृथ्वी के केंद्र में खौलता लावा होता है,जिसके ऊपर टेक्टोनिक प्लेट्स तैरती रहती हैं।इन्हीं टेक्टोनिक प्लेट्स के ऊपर भूखण्डों का निर्माण हुआ है।जिस पर हम निवास करते हैं।जब ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं तो भूकंपीय तरंगें उत्पन्न होती हैं।भूकंपीय तरंगें धरती के अंदर जहां से उत्पन्न होती हैं,उस बिंदु को भूकंपीय मूल या उद्गम केंद्र कहा जाता है।ये तरंगें उद्गम केंद्र से निलकर जिस स्थान पर धरातल से टकराती हैं,उस बिंदु को भूकंप अधिकेन्द्र कहा जाता है।इन तरंगों के धरती से टकराने के कारण ही कंपन उत्पन्न होता है और भूकंप की घटना घटित होती है। जिसके परिणामस्वरुप कहीं धरती धंस जाती है तो कहीं गहरे गड्ढों का निर्माण हो जाता है।इन सब घटनाओं का संबंध पृथ्वी की आंतरिक क्रियाओं से है।
विज्ञान की जिस शाखा के अंतर्गत भूकंप और उससे संबंधित विषयों का अध्ययन किया जाता है,उसे सिस्मोलॉजी (Seismology) कहा जाता है।इस शाखा में हम भूकंप की उत्पत्ति,भूकंप के कारण और भूकंप के प्रभावों का अध्ययन करते हैं।भूकंप को मापने के लिए जिस यंत्र का प्रयोग किया जाता है,उसे सिस्मोमीटर कहा जाता है।इसकी तीव्रता को रिक्टर पैमाने पर मापा जाता है,जिसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल या सामान्यतः रिक्टर स्केल (Richter's Scale) कहा जाता है।इसे इसके अभिकेंद्र से 1 से लेकर 10 तक के अंकों के आधार पर व्यक्त किया जाता है।भूकंप की तीव्रता जितनी ज्यादा होगी,उसका नुकसान भी उतना ही ज्यादा होगा।अधिकेंद्र से दूर जाने पर भूकंप का प्रभाव भी कम होता जाता है।जिस कारण अधिकेंद्र से दूर स्थित स्थानों पर कम नुकसान होता है।जिस यंत्र के जरिए भूकंप के विभिन्न घटकों जैसे तरंगदैर्ध्य,आयाम,वेग इत्यादि का पता लगाया जाता है,उसे सिस्मोग्राफ कहा जाता है।यह एक पेपर पर ग्राफ के जरिए भूकंप की प्रकृति के बारे में हमें बताता है।
• वर्तमान में भारत के कौन-कौन से क्षेत्र भूकंप के सबसे खतरनाक जोन में स्थित हैं :
भारत के राज्यों में हिमाचल प्रदेश,उत्तराखंड,गुजरात तथा बिहार एवं केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली तथा जम्मू-कश्मीर भूकंप के डेंजर जोन के अंतर्गत आते हैं।जिसमें ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप आने की संभावना है।इन क्षेत्रों में ही जानमाल की ज्यादा हानि हो सकती है।इसके अलावा भारत के पूर्वोत्तर राज्यों अरुणाचल प्रदेश,असम, मेघालय,त्रिपुरा,मिजोरम,मणिपुर तथा नागालैंड जोन-V में रखा गया है।जिस कारण ये क्षेत्र भी भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में वर्गीकृत किए गए हैं।
• भारत के किन क्षेत्रों में भविष्य में प्रलयकारी भूकंप आने की संभावना है:
भारत के केंद्र शासित प्रदेशों में लद्दाख, जम्मू-कश्मीर एवं दिल्ली तथा राज्यों में पंजाब,हरियाणा, हिमाचल प्रदेश,उत्तराखंड,उत्तर प्रदेश,बिहार,सिक्किम तथा पश्चिम बंगाल जोन-IV के अंतर्गत आते हैं।जिससे ये क्षेत्र भी भूकंप के खतरनाक जोन में स्थित हैं।भविष्य में इन क्षेत्रों में भयंकर भूकंप आने की संभावना है। हिमालय से इनकी नजदीकी भी भूकंप की संभावना को काफी ज्यादा बढ़ा देता है।
• हाल के दिनों में दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में भूकंप की घटनाएं ज्यादा घटित क्यों हो रही हैं:
केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली एक ऐसा क्षेत्र है जो भूकंप के जोन-V में पड़ता है।इसका सीधा अर्थ यह है कि दिल्ली के आसपास के क्षेत्र में ही कहीं भूकंप अधिकेंद्र स्थित है।चूंकि भूकंप अधिकेंद्र के निकट स्थित क्षेत्रों में भूकंप की तीव्रता सर्वाधिक होती है, इसलिए दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्र भूकंप से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। दिल्ली विशाल पर्वत श्रृंखला हिमालय के समीप ही बसा हुआ है और हिमालय का निर्माण टेक्टोनिक प्लेट्स के आपस में टकराने से हुआ है।इन टेक्टोनिक प्लेट्स में हमेशा हलचल होती रहती हैं,जिस कारण यहां भूकंपीय तरंगें लगातार बनती रहती हैं।ये भूकंपीय तरंगें जब ज्यादा प्रबल होती हैं तो अपना विध्वंस रूप दिखाती हैं।
• भूकंप से बचाव के लिए कौन-कौन से उपाय किए जा सकते हैं:
भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक घटना है जिसकी उत्पत्ति पृथ्वी की आंतरिक क्रियाओं के कारण होता है।जिस कारण भूकंप को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।अगर इसके बारे में पहले से पता लगाया जा सके तो इससे बचाव के उपाय किए जा सकते हैं। वर्तमान में वैज्ञानिक पद्धतियों द्वारा कुछ हद तक इसका अनुमान लगा पाना संभव हो पाया है।जिससे थोड़ा बहुत फायदा हुआ है।लेकिन इस क्षेत्र में काफी शोध बाकी है ताकि सटीकता के साथ इसका पूर्वानुमान लगाया जा सके।अगर इस प्रयास में हम सफल हो जाते हैं तो मानव जाति को एक भारी नुकसान से बचाया जा सकता है।
चूंकि वर्तमान में इस आपदा से निपटने का कोई कारगार उपाय नहीं है।इसलिए भूकंप से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले क्षेत्रों से लोगों को विस्थापित किया जाना चाहिए ताकि जानमाल की हानि न हो।
Post a Comment